मुहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूंगा ये पुल सिरात अ | हिंदी Poetry Vide

"मुहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूंगा ये पुल सिरात अगर है चल के देखूंगा। सवाल ये है कि रफ़्तार किसकी कितनी है मैं आफ़ताब से आगे निकल के देखूंगा। गुज़रिशों का कुछ उस पर असर नहीं होता वो अब मिलेगा तो लहज़ा बदल के देखूंगा मज़ाक अच्छा रहेगा ये चाँद तारों से मैं आज शाम से पहले ही ढल के देखूंगा अजब नहीं कि वही रौशनी मुझे मिल जाए मैं अपने घर से किसी दिन निकल के देखूंगा। उजाले बनते वालों पे क्या गुजरती है किसी चिराग़ की मानिंद जल के देखूंगा। 🌸 - राहत इंदौरी "

मुहब्बतों के सफ़र पर निकल के देखूंगा ये पुल सिरात अगर है चल के देखूंगा। सवाल ये है कि रफ़्तार किसकी कितनी है मैं आफ़ताब से आगे निकल के देखूंगा। गुज़रिशों का कुछ उस पर असर नहीं होता वो अब मिलेगा तो लहज़ा बदल के देखूंगा मज़ाक अच्छा रहेगा ये चाँद तारों से मैं आज शाम से पहले ही ढल के देखूंगा अजब नहीं कि वही रौशनी मुझे मिल जाए मैं अपने घर से किसी दिन निकल के देखूंगा। उजाले बनते वालों पे क्या गुजरती है किसी चिराग़ की मानिंद जल के देखूंगा। 🌸 - राहत इंदौरी

राहत इंदौरी साहब की कुछ पंक्तियाँ।
#gajal #voice #own

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