कसम तुम्हारी ज़िन्दगी बेकार सी लगने लगी है
वजह मिलती ही नहीं,
दिल से मुस्काने की
क्यूं पूछते हो मुझसे,तकलीफ क्या है तुझको
मुझे तो आदत ही पड़ गई है,
अपना गम छिपाने की 🙂
pallavi jha
कसम तुम्हारी ज़िन्दगी बेकार सी लगने लगी है
वजह मिलती ही नहीं,
दिल से मुस्काने की
क्यूं पूछते हो मुझसे,तकलीफ क्या है तुझको
मुझे तो आदत ही पड़ गई है,
अपना गम छिपाने की