मैं मंदिर भी छोड़ आया मैं मस्जिद भी छोड़ आया , अब की बार मैं ईश्वर को अपने दिल में बसा लाया ।
जमाने के धोको को छोड़ मैं आगे निकल आया ।
मैं गीता भी छोड़ आया मैं कुरान भी छोड़ आया , मैं जिंदगी का सार अपने आप में ले आया ।
मैं छोटी -छोटी खुशियों को ले आया , खुद के दुखों को मैं सब उस पर छोड़ आया ।
एक भरोसा था एक विश्वास था , जो मैं उसके पास से ले आया ।
©short sweet
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