"White इक ख़त लिखा है आपको बेहतर ज़रा
उम्मीद की स्याही सितारों से भरा
कितनी अजब चारा-गरी है जुगनुओं
है तीरगी में रौशनी का मशवरा
था नाज़ हमको इस वफ़ा की नींव पे
फिर वो गए और रह गया आलम धरा
क्या मसअला है उम्र का जो डर लगे
ये इश्क़ है होता नहीं है डोकरा
है तल्ख़ लहजा पर निगाहों में नशा
ऐसा अलग अंदाज़ उनका मद भरा
©गौरव आनन्द श्रीवास्तव"