भाग 1
छोटी-सी सल्तनत का तू शहजादा, खोल ले आँखे तेरी जो बंद है, जिससे तू देख नहीं पाता।
छोटी-सी उम्र में तुझे हुआ अंदाजा, जिंदगी जंग है, पर तुझे लड़ना
नहीं आता।
छोटी-सी अक्ल का तू खोल ले दरवाजा, उसमें लगी जंग है, जो तू सोच नहीं पाता।
छोटी-सी गलती का भुगतेगा खामियाज़ा, समय तेरे संग है, तू संभल क्यों नहीं जाता।
©Pavan bhoyar
शहजादा भाग 1
Written by -Pavan Bhoyar