तुम्हारी मुस्कान पर यूँ सिमटे हम, ना जाने कहाँ खो | हिंदी Shayari

"तुम्हारी मुस्कान पर यूँ सिमटे हम, ना जाने कहाँ खो गए इस भीड़ में, फिर तुम्हारी याद में जी उठे हम।। ©The Poet Narendra Nagar"

 तुम्हारी मुस्कान पर 
यूँ सिमटे हम,
ना जाने कहाँ खो
 गए इस भीड़ में,
फिर तुम्हारी याद में
जी उठे हम।।

©The Poet Narendra Nagar

तुम्हारी मुस्कान पर यूँ सिमटे हम, ना जाने कहाँ खो गए इस भीड़ में, फिर तुम्हारी याद में जी उठे हम।। ©The Poet Narendra Nagar

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