चाँद की रोशिनी में आसमां पर दीदार देते है वो क़म | हिंदी शायरी
"चाँद की रोशिनी में आसमां पर दीदार देते है वो क़मर
मगर उसमें पहले जैसा चमक ना रही,
ईद तो मनाते आए है हम हर साल
मगर इस साल जैसा आजतक ना रही।
ईद-उल-अजहा मुबारक हो
✍️फरहाना"
चाँद की रोशिनी में आसमां पर दीदार देते है वो क़मर
मगर उसमें पहले जैसा चमक ना रही,
ईद तो मनाते आए है हम हर साल
मगर इस साल जैसा आजतक ना रही।
ईद-उल-अजहा मुबारक हो
✍️फरहाना