White "हँसते- हँसते"
गिर भी जाऊँ अगर तो उठने की मैं हिम्मत रखती हूँ।
तूफ़ानों से ना ही आँधियों से ही कोई फ़ासला रखती हूँ।।
झेल जाऊंगी हर सितम अब तो हँसते- हँसते ज़माने का।
क्योंकि ज़िंदगी का हर रास्ता बदलने की मैं ख़ुद में ताकत रखती हूँ।।
मधु गुप्ता "अपराजिता"
©Madhu Gupta
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