लिखी हुई मोहब्बत को मिटा कर दिल में मौजूद एहसास ख | हिंदी Shayari

"लिखी हुई मोहब्बत को मिटा कर दिल में मौजूद एहसास ख़त्म नहीं कर सकते तुम। लिखी हुई तहरीरों को मिटाने से ज़्यादा बेहतर ये था कि मेरे सवालों का जवाब दे कर मेरी उलझने ही मिटा देते तुम । मैं कुछ कहती हूँ अगर तो वजह होती है उसके पीछे भी कोई, काश! मेरी बातों का मक़सद समझ पाते, मेरी बातें कभी दिल से समझने कि कोशिश करते तुम, और ना समझ पाते अगर तो मुझ से सवाल करते तुम । बस बातें ही नहीं करते लोगों के जज़्बात समझने की , काश! मेरे भी दिल का हाल और मेरे जज़्बात भी समझ पाते तुम। सब कुछ जानते हुए भी, ख़ामोशी से मेरी बेचैनियों का तमाशा न देखते, काश! तुमसे जुड़े सवालों का कभी तो सच्चा जवाब बन जाते तुम। जब भी मिले हो, यूॅं अंजान बन कर मिले मुझसे कि जैसे तुम वो हो ही नहीं, ऐसे मिले जैसे मुझे पहले से जानते ही नहीं थे तुम । तुम्हारे इस तरह बदल जाने से दिल किस अज़ीय्यत से गुज़रा, काश! ये समझ पाते तुम, कभी दिल की तस्कीन भी बन जाते तुम। नाराज़गी इस बात की नहीं कि तुमसे कोई ग़लती हुई, नाराज़गी तो इस बात की है कि, दावे मोहब्बत के करते हो और फ़िर भी मेरी बेचैनी,मेरी बे-सुकूनी पर भी अंजान बन कर ख़ामोश कैसे रह सकते हो तुम ?? जो तुम पूरी न कर सको,इस मोहब्बत के रिश्ते में ऐसी कोई उम्मीद नहीं रखी तुमसे कभी उम्मीद बस इतनी थी कि मैं क्या चाहती हूॅं बस इतना समझ पाते और कभी मुझ से भी पूछने की ज़हमत करते तुम। यूॅं तो लिखने को बहुत कुछ है लेकिन ये बस कुछ ही बातें लिखी हैं दिल की एहसास-ए-मोहब्बत बाक़ी होगा दिल में अगर तो मेरा हाल-ए-दिल समझ जाओगे तुम । वर्ना किसी अंजान शख़्स की लिखी हुई कोई तहरीर समझकर, बस यूॅं ही पढ़कर इन सारी बातों को नज़र-अंदाज़ करने का भी हक़ रखते हो तुम । #bas yunhi ek khataal ....... ©Sh@kila Niy@z"

 लिखी हुई मोहब्बत को मिटा कर 
दिल में मौजूद एहसास ख़त्म नहीं कर सकते तुम।
लिखी हुई तहरीरों को मिटाने से ज़्यादा बेहतर ये था कि 
मेरे सवालों का जवाब दे कर मेरी उलझने ही मिटा देते तुम ।
मैं कुछ कहती हूँ अगर तो वजह होती है उसके पीछे भी कोई,
काश! मेरी बातों का मक़सद समझ पाते, 
मेरी बातें कभी दिल से समझने  कि कोशिश करते तुम,
और ना समझ पाते अगर तो मुझ से सवाल करते तुम ।
बस बातें ही नहीं करते लोगों के जज़्बात समझने की ,
काश! मेरे भी दिल का हाल और मेरे जज़्बात भी समझ पाते तुम।
सब कुछ जानते हुए भी, ख़ामोशी से मेरी बेचैनियों का तमाशा न देखते,
काश! तुमसे जुड़े सवालों का कभी तो सच्चा जवाब बन जाते तुम।
जब भी मिले हो, यूॅं अंजान बन कर मिले मुझसे कि जैसे तुम वो हो ही नहीं,
ऐसे मिले जैसे मुझे पहले से जानते ही नहीं थे तुम ।
तुम्हारे इस तरह बदल जाने से दिल किस अज़ीय्यत से गुज़रा,
काश! ये समझ पाते तुम, कभी दिल की तस्कीन भी बन जाते तुम।
नाराज़गी इस बात की नहीं कि तुमसे कोई ग़लती हुई,
नाराज़गी तो इस बात की है कि, दावे मोहब्बत के करते हो 
और फ़िर भी मेरी बेचैनी,मेरी बे-सुकूनी पर भी 
अंजान बन कर ख़ामोश कैसे रह सकते हो तुम ??
जो तुम पूरी न कर सको,इस मोहब्बत के रिश्ते में 
ऐसी कोई उम्मीद नहीं रखी तुमसे कभी 
उम्मीद बस इतनी थी कि मैं क्या चाहती हूॅं बस इतना समझ पाते
और कभी मुझ से भी पूछने की ज़हमत करते तुम।
यूॅं तो लिखने को बहुत कुछ है लेकिन ये बस कुछ ही बातें लिखी हैं दिल की 
एहसास-ए-मोहब्बत बाक़ी होगा दिल में अगर 
तो मेरा हाल-ए-दिल समझ जाओगे तुम ।
वर्ना किसी अंजान शख़्स की लिखी हुई कोई तहरीर समझकर,
बस यूॅं ही पढ़कर इन सारी बातों को नज़र-अंदाज़ करने का भी हक़ रखते हो तुम ।

#bas yunhi ek khataal .......

©Sh@kila Niy@z

लिखी हुई मोहब्बत को मिटा कर दिल में मौजूद एहसास ख़त्म नहीं कर सकते तुम। लिखी हुई तहरीरों को मिटाने से ज़्यादा बेहतर ये था कि मेरे सवालों का जवाब दे कर मेरी उलझने ही मिटा देते तुम । मैं कुछ कहती हूँ अगर तो वजह होती है उसके पीछे भी कोई, काश! मेरी बातों का मक़सद समझ पाते, मेरी बातें कभी दिल से समझने कि कोशिश करते तुम, और ना समझ पाते अगर तो मुझ से सवाल करते तुम । बस बातें ही नहीं करते लोगों के जज़्बात समझने की , काश! मेरे भी दिल का हाल और मेरे जज़्बात भी समझ पाते तुम। सब कुछ जानते हुए भी, ख़ामोशी से मेरी बेचैनियों का तमाशा न देखते, काश! तुमसे जुड़े सवालों का कभी तो सच्चा जवाब बन जाते तुम। जब भी मिले हो, यूॅं अंजान बन कर मिले मुझसे कि जैसे तुम वो हो ही नहीं, ऐसे मिले जैसे मुझे पहले से जानते ही नहीं थे तुम । तुम्हारे इस तरह बदल जाने से दिल किस अज़ीय्यत से गुज़रा, काश! ये समझ पाते तुम, कभी दिल की तस्कीन भी बन जाते तुम। नाराज़गी इस बात की नहीं कि तुमसे कोई ग़लती हुई, नाराज़गी तो इस बात की है कि, दावे मोहब्बत के करते हो और फ़िर भी मेरी बेचैनी,मेरी बे-सुकूनी पर भी अंजान बन कर ख़ामोश कैसे रह सकते हो तुम ?? जो तुम पूरी न कर सको,इस मोहब्बत के रिश्ते में ऐसी कोई उम्मीद नहीं रखी तुमसे कभी उम्मीद बस इतनी थी कि मैं क्या चाहती हूॅं बस इतना समझ पाते और कभी मुझ से भी पूछने की ज़हमत करते तुम। यूॅं तो लिखने को बहुत कुछ है लेकिन ये बस कुछ ही बातें लिखी हैं दिल की एहसास-ए-मोहब्बत बाक़ी होगा दिल में अगर तो मेरा हाल-ए-दिल समझ जाओगे तुम । वर्ना किसी अंजान शख़्स की लिखी हुई कोई तहरीर समझकर, बस यूॅं ही पढ़कर इन सारी बातों को नज़र-अंदाज़ करने का भी हक़ रखते हो तुम । #bas yunhi ek khataal ....... ©Sh@kila Niy@z

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