#Poetryunpluged
कहो तो गीत लिख दूं।
या फिर मीत लिख दूं।
जिंदगी के सफ़र में यारा,
कहो तो प्रीत लिख दूं।।
बहारें नित आती जाती है,
खग गुंजन यू ही गाती है।
सुमन मुस्कान लव खेले,
कहो क्या जग रीत लिख दूं।।
ओढ़ कर हेमंती चादर,
देखो सबनमी धरती।
लोरी गा रही ममता,
गौरव संगीत लिख दूं।।
कहो तो गीत लिख दूं।
या फिर मीत लिख दूं।।
गिरिजा नन्द मिश्र
टीचर्स कॉलोनी
पूर्णिया बिहार
पिन कोड 854301
©Girijanand Mishra
कहो तो गीत लिख दूं।