दिल से निकालने से, कोई निकलता है क्या मेरी तरह ते | हिंदी शायरी
"दिल से निकालने से, कोई निकलता है क्या
मेरी तरह तेरी इश्क़ मे कोई,और जलता है क्या?
ये तो वफ़ाओ का खेल है साहेब
मेहनत करने से मिल जाये, कोई सफलता है क्या?
और लाख देशभक्ति हो आपको अपने मुल्क के खातिर
लेकिन जब ललकारा न जाये, तो खून यूं ही खौलता है क्या?"
दिल से निकालने से, कोई निकलता है क्या
मेरी तरह तेरी इश्क़ मे कोई,और जलता है क्या?
ये तो वफ़ाओ का खेल है साहेब
मेहनत करने से मिल जाये, कोई सफलता है क्या?
और लाख देशभक्ति हो आपको अपने मुल्क के खातिर
लेकिन जब ललकारा न जाये, तो खून यूं ही खौलता है क्या?