वो बंजर हो गई थी एक एक बूंद पानी के बिना। वो अनजा | हिंदी Poetry

"वो बंजर हो गई थी एक एक बूंद पानी के बिना। वो अनजान ही थी उस हरियाली के बिना। वो टूट सी गई थी उस नए नए प्रहार से वो खुदसे ही मुखर रही थी इस दरिया की रेत से ©kiran Gaikwad"

 वो बंजर हो गई थी
एक एक बूंद पानी के बिना।

वो अनजान ही थी
उस हरियाली के बिना।

वो टूट सी गई थी
उस नए नए प्रहार से

वो खुदसे ही मुखर रही थी
इस दरिया की रेत से

©kiran Gaikwad

वो बंजर हो गई थी एक एक बूंद पानी के बिना। वो अनजान ही थी उस हरियाली के बिना। वो टूट सी गई थी उस नए नए प्रहार से वो खुदसे ही मुखर रही थी इस दरिया की रेत से ©kiran Gaikwad

#banjar

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