निगाहें निगाहें अब संभाल कर उठाती हूं ताकि फिर क

"निगाहें निगाहें अब संभाल कर उठाती हूं ताकि फिर किसी पर भरोषा न हो जाएं, में मुस्कुराऊँ किसी से और वो सख़्श अपना न हो जाये। फासले दरमियाँ कम होने लगे जब, तो वो फरेबी हो जाएं, भरोषा करूँ दोबारा मैं और , मेरा हश्र फिर से वही हो जाए। priyanka namdev"

 निगाहें  निगाहें अब संभाल कर उठाती हूं 
ताकि फिर किसी पर भरोषा न हो जाएं,
में मुस्कुराऊँ किसी से 
और वो सख़्श अपना न हो जाये।
फासले दरमियाँ कम होने लगे जब,
तो वो फरेबी हो जाएं,
भरोषा करूँ दोबारा मैं और ,
मेरा हश्र फिर से वही हो जाए।

priyanka namdev

निगाहें निगाहें अब संभाल कर उठाती हूं ताकि फिर किसी पर भरोषा न हो जाएं, में मुस्कुराऊँ किसी से और वो सख़्श अपना न हो जाये। फासले दरमियाँ कम होने लगे जब, तो वो फरेबी हो जाएं, भरोषा करूँ दोबारा मैं और , मेरा हश्र फिर से वही हो जाए। priyanka namdev

penned by priyanka namdev #WForWriters

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