तिलक-टोपी हो या फिर हो क्रॉस का निशान,
इन चीजों में खो गया है कहीं मेरा हिंदुस्तान।
कहीं राम कहीं अल्लाह का जारी है बखान।
इसी बहस के मध्य में भूखा बैठा है इंसान।
आरती की अजान से गुरुवाणी से है संग्राम,
चिंतित व्यथित हैं सभी अल्लाह जीसस राम।
रोटी की चिंता नहीं सुनना है सिर्फ अजान।
बेघरों को भी है सिर्फ करना मंदिर निर्माण।
यहां भारत की बेटी की जो भी लूटे लाज,
फांसी पर टांगो चाहे हो मौलाना या महाराज।
इस भारत की भूमि के बडे सुनहरे रंग,
हर जाति हर धर्म है इसका अपना अंग।