सर्द रातें और चाय सुना रहा हूँ एक कहानी इश्क़ की, | हिंदी Love

"सर्द रातें और चाय सुना रहा हूँ एक कहानी इश्क़ की, बोलो सुनोगी क्या, बिछड़ी थी जो मुस्कान मेरी, तुम बनोगी क्या । चले आये बड़ी ही दूर बड़ा सा फ़ासला बन भी गया, कहीं टूटा था जो रिश्ता मेरा, तुम नया बुनोगी क्या । हमें मालूम है तुमको भी चाय कि चाहत वही है, जो हम लायेंगे दो प्याले तो बोलो हाँ, कहोगी क्या । तुम्हारे साथ बैठ पूरी रात बातें करते ही रहेंगे, जो प्याला हो गया ख़ाली तो तुम, फिर भरोगी क्या । चलते रहेंगे साथ दोनों इस नये सफ़र पर, ग़र कहीं हम खो गये तो , हमें खोजोगी क्या । अगर जो आख़िरी मंजर है ये तो हाथ हाथों में ही चाहूँ, कहीं जो मौत तक चलने कहूँ मैं, कहों ना चलोगी क्या । -कृष्णामरेश ©Amresh Krishna"

 सर्द रातें और चाय सुना रहा हूँ एक कहानी इश्क़ की, बोलो सुनोगी क्या, 
 बिछड़ी थी जो मुस्कान मेरी, तुम बनोगी क्या । 
चले आये बड़ी ही दूर बड़ा सा फ़ासला बन भी गया, 
कहीं टूटा था जो रिश्ता मेरा, तुम नया बुनोगी क्या ।

हमें मालूम है तुमको भी चाय कि चाहत वही है, 
जो हम लायेंगे दो प्याले तो बोलो हाँ, कहोगी क्या ।

तुम्हारे साथ बैठ पूरी रात बातें करते ही रहेंगे, 
जो प्याला हो गया ख़ाली तो तुम, फिर भरोगी क्या ।

चलते रहेंगे साथ दोनों  इस नये सफ़र पर, 
ग़र कहीं हम खो गये तो , हमें खोजोगी क्या ।

अगर जो आख़िरी मंजर है ये तो हाथ हाथों में ही चाहूँ, 
कहीं जो मौत तक चलने कहूँ मैं, कहों ना चलोगी क्या ।
-कृष्णामरेश

©Amresh Krishna

सर्द रातें और चाय सुना रहा हूँ एक कहानी इश्क़ की, बोलो सुनोगी क्या, बिछड़ी थी जो मुस्कान मेरी, तुम बनोगी क्या । चले आये बड़ी ही दूर बड़ा सा फ़ासला बन भी गया, कहीं टूटा था जो रिश्ता मेरा, तुम नया बुनोगी क्या । हमें मालूम है तुमको भी चाय कि चाहत वही है, जो हम लायेंगे दो प्याले तो बोलो हाँ, कहोगी क्या । तुम्हारे साथ बैठ पूरी रात बातें करते ही रहेंगे, जो प्याला हो गया ख़ाली तो तुम, फिर भरोगी क्या । चलते रहेंगे साथ दोनों इस नये सफ़र पर, ग़र कहीं हम खो गये तो , हमें खोजोगी क्या । अगर जो आख़िरी मंजर है ये तो हाथ हाथों में ही चाहूँ, कहीं जो मौत तक चलने कहूँ मैं, कहों ना चलोगी क्या । -कृष्णामरेश ©Amresh Krishna

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