जीवन के झंझावातों से निकल मैं चाहू सामीप्य प्रकृति का देख प्रकृति की अनुपम छटा आज उर आनंदित है मेरा निःस्तब्ध निशा में प्रकृति भी है कुछ अलसायी हुई विरह वेदना से आकुल हो लगती कुछ मुरझाई हुई। मेरे शब्द ©Seema Rani #thought Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto