अब चल जिंदगी वहाँ ले चल जहाँ से तूने उठाया था । उ | हिंदी शायरी

"अब चल जिंदगी वहाँ ले चल जहाँ से तूने उठाया था । उसी नींद में सुला देना जहाँ से मुझे कभी जगाया था ।। तेरे इस सफर से हार गया हूँ मैं 18 साल का लड़का पंखे से क्यों लटका जान गया मैं ......... अब ओर परेशान मत कर तेरी इन हरकतों से डरा नहीं अंतःकरण में मर गया हूँ मैं ..... ©fateh singh sodha"

 अब चल जिंदगी वहाँ ले चल जहाँ से  तूने उठाया था ।
उसी नींद में सुला देना जहाँ से मुझे कभी जगाया था ।।

तेरे इस सफर से हार गया हूँ मैं 

18 साल का लड़का पंखे से क्यों लटका जान गया मैं .........
अब ओर परेशान मत कर 
तेरी इन हरकतों से डरा नहीं अंतःकरण में मर गया हूँ मैं .....

©fateh singh sodha

अब चल जिंदगी वहाँ ले चल जहाँ से तूने उठाया था । उसी नींद में सुला देना जहाँ से मुझे कभी जगाया था ।। तेरे इस सफर से हार गया हूँ मैं 18 साल का लड़का पंखे से क्यों लटका जान गया मैं ......... अब ओर परेशान मत कर तेरी इन हरकतों से डरा नहीं अंतःकरण में मर गया हूँ मैं ..... ©fateh singh sodha

#SAD

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