ख्वाब टूटते यह देख रोई अब्सार है।
बोखलाता दिल यह कहता व्यर्थ संसार है
आसमा से टूटा तारा भी अब रो रो के कह रहा।
आसितो की आरजू का नीचे बाजार है।।
अंजुमन में शबब कि एहतमाम ना मिली।
तालिया तो मिली पर सरेआम ना मिली।।
नफरतो कि इस भिड़ मे प्यार आदिक कहा।
वाह सबकी मिली पर सरेआम ना मिली।।।
दूर यु ना तुम बेठो आगोश खाली है।
सावन के जुलो से सजी लम्बी सी डाली है।।
तुने काँधे पे सर आपना रखा तो रूत गवारा हुई।
और ख्वाब उडे तो कुर्ते मे फंसी,तेरे कानो कि बाली है।।
कलम-अशीष_सोनी
गग