पृथिव्यां त्रीणि रत्नानि,
जलमन्नं सुभाषितम्।
मूढैः पाषाणखण्डेषु,
रत्नसंज्ञा विधीयते॥
पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुन्दर वचन। मूर्खों ने ही पत्थर के टुकड़ों (हीरे आदि)को रत्न का नाम दिया हुआ है
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