नैन उसके एक गहरी झील, में, प्रेम की मैं नाँव छोड़ूँ | हिंदी Shayari

"नैन उसके एक गहरी झील, में, प्रेम की मैं नाँव छोड़ूँ कब तलक । ✍ कुनाल पंत 'बाबा'"

 नैन उसके एक गहरी झील, में,
प्रेम की मैं नाँव छोड़ूँ कब तलक ।
✍ कुनाल पंत 'बाबा'

नैन उसके एक गहरी झील, में, प्रेम की मैं नाँव छोड़ूँ कब तलक । ✍ कुनाल पंत 'बाबा'

एक शेर पेश-ए-ख़िदमत है 😊💐
Satyaprem Upadhyay
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