=====कविता शीर्षक===== ( बो लड़कपन के दिन ) | हिंदी कविता

"=====कविता शीर्षक===== ( बो लड़कपन के दिन ) ________________________ बो वचपन, वो बाबुल का आँगन । बो माँ की गोद, बो नाचता मोर ।। बो सखियों का साथ, सुबह होते ही, एक दूसरे से मिलने की आस।। बो लड़कपन के दिन...............।। बो लहलहाते खेत, बो उडता हुआ रेत बो खेलना,बो खिलाना,बो चोट लगने पे माँ के आँचल से लिपट जाना । बो लड़कपन के दिन...............।। जब हुई शादी, रुक गई आज़ादी ।। मुझे एक बात समझ नहीं आई । क्यों शादी के बाद अपनी बेटी, हो जाती है पराई ।। मुँह मांगी चीज़ लड़के , बालों को देनी पड़ती है । बस यह बात मेरे दिल में, हमेशा गढ़ती है ।। लड़की सोचती है जाऊँगी , ससुराल अपने । शादी के बाद टूट जाते हैं सारे सपने ।। सब कुछ देने के बाद भी , सुख नहीं मिलता ससुराल में । माँ-बाप को भी डर रहता है, हमारी बेटी होगी किस हाल में।। सब कुछ खोने के बाद माँ-बाप को, लड़के की मांगे पूरी करनी पड़ती हैं । इतने पर भी सुख नहीं मिलता तो, लड़की को अपने प्राणों की, बली देनी पड़ती है .............।। ======निशू निशान्त यादव ===== ========================"

 =====कविता शीर्षक===== 
      ( बो लड़कपन के दिन )
________________________

बो वचपन, वो बाबुल का आँगन । 
बो माँ की गोद, बो नाचता मोर ।।
बो सखियों का साथ, सुबह होते ही,
एक  दूसरे  से  मिलने  की  आस।।

 बो लड़कपन के दिन...............।। 

बो लहलहाते खेत, बो उडता हुआ रेत
बो खेलना,बो खिलाना,बो चोट लगने पे
माँ   के   आँचल  से   लिपट   जाना । 

बो लड़कपन के दिन...............।। 

जब हुई शादी, रुक गई आज़ादी ।।
मुझे  एक  बात समझ नहीं आई ।
क्यों शादी के बाद अपनी बेटी,
 हो    जाती    है   पराई  ।।

मुँह   मांगी   चीज़   लड़के ,
बालों   को   देनी   पड़ती   है ।
बस यह बात मेरे दिल में, 
हमेशा   गढ़ती   है  ।।

लड़की सोचती है जाऊँगी ,
ससुराल अपने  ।
शादी के बाद टूट जाते हैं सारे सपने ।।
सब  कुछ  देने  के  बाद  भी ,
सुख नहीं मिलता ससुराल में ।
माँ-बाप  को  भी  डर  रहता है, 
हमारी बेटी होगी किस हाल में।। 

सब कुछ खोने के बाद माँ-बाप को,
लड़के की मांगे पूरी करनी पड़ती हैं ।
इतने  पर  भी  सुख  नहीं  मिलता तो, 
लड़की   को   अपने   प्राणों   की,
 बली   देनी   पड़ती   है .............।।

======निशू निशान्त यादव =====
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=====कविता शीर्षक===== ( बो लड़कपन के दिन ) ________________________ बो वचपन, वो बाबुल का आँगन । बो माँ की गोद, बो नाचता मोर ।। बो सखियों का साथ, सुबह होते ही, एक दूसरे से मिलने की आस।। बो लड़कपन के दिन...............।। बो लहलहाते खेत, बो उडता हुआ रेत बो खेलना,बो खिलाना,बो चोट लगने पे माँ के आँचल से लिपट जाना । बो लड़कपन के दिन...............।। जब हुई शादी, रुक गई आज़ादी ।। मुझे एक बात समझ नहीं आई । क्यों शादी के बाद अपनी बेटी, हो जाती है पराई ।। मुँह मांगी चीज़ लड़के , बालों को देनी पड़ती है । बस यह बात मेरे दिल में, हमेशा गढ़ती है ।। लड़की सोचती है जाऊँगी , ससुराल अपने । शादी के बाद टूट जाते हैं सारे सपने ।। सब कुछ देने के बाद भी , सुख नहीं मिलता ससुराल में । माँ-बाप को भी डर रहता है, हमारी बेटी होगी किस हाल में।। सब कुछ खोने के बाद माँ-बाप को, लड़के की मांगे पूरी करनी पड़ती हैं । इतने पर भी सुख नहीं मिलता तो, लड़की को अपने प्राणों की, बली देनी पड़ती है .............।। ======निशू निशान्त यादव ===== ========================

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