ये सर्दी की धूप जैसे तेरा खिला खिला रूप अब दिल हुआ | हिंदी कविता

"ये सर्दी की धूप जैसे तेरा खिला खिला रूप अब दिल हुआ इश्क का सिकंदर है जान मेरी,ये कम्बक्त सरूर ए नवंबर है ©Smriti Kaushal"

 ये सर्दी की धूप
जैसे तेरा खिला खिला रूप
अब दिल हुआ इश्क का सिकंदर है
जान मेरी,ये कम्बक्त सरूर ए नवंबर है

©Smriti Kaushal

ये सर्दी की धूप जैसे तेरा खिला खिला रूप अब दिल हुआ इश्क का सिकंदर है जान मेरी,ये कम्बक्त सरूर ए नवंबर है ©Smriti Kaushal

इश्क और नवंबर..

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