शाम होने को है जलने को है शम्मा -ए-महफ़िल साँस लेने | हिंदी Shayari

"शाम होने को है जलने को है शम्मा -ए-महफ़िल साँस लेने की भी फुरसत नही परवाने को.. ©Ronac Vasudev"

 शाम होने को है जलने को है शम्मा -ए-महफ़िल
साँस लेने की भी फुरसत नही परवाने को..

©Ronac Vasudev

शाम होने को है जलने को है शम्मा -ए-महफ़िल साँस लेने की भी फुरसत नही परवाने को.. ©Ronac Vasudev

#Night

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