મારું ગામડું गांव, समेटे बैठे हैं
जो अपनापन
जो गलियां,
थमी थमी सी दुपहरी
चहचहाती शामें
और बेवजह खिल आए
बेनाम से फूल,
वो कच्चे मकानों में
पक्के रिश्ते,
कुछ पा लेने की खुशी,
थक कर
सो जाने का सुकून ।
गाँव
©Govind Dhakad
#village गांव, समेटे बैठे हैं
जो अपनापन
जो गलियां,
थमी थमी सी दुपहरी
चहचहाती शामें
और बेवजह खिल आए
बेनाम से फूल,
वो कच्चे मकानों में