जिंदगी एक खूबसूरत एहसास है
इसे काली रात,सजा बद्दुआ,नफरतों का बाज़ार क्यों कहें
किसी राह में पत्थर, कांटे,मखमली घासें सब हैं
कोई ठोकर खाए,कांटों में उलझ जाए तो राहों को ज़िम्मेदार क्यों कहें
बाज़ार में तो दूध,शहद,शक्कर,घी सब मिलते हैं
कोई शराब पीकर मर जाय तो शराब को गुनहगार क्यों कहें
सब जानते हैं धोखा वहीं मिलता है जहां भरोषा ज्यादा होता है भरोषा हम करते हैं तो किसी और को धोखेबाज क्यों कहें
उलझी बातों वाले भी सुलझे व्यक्ति की तलाश में रहते हैं
कोई अपने बुने जालों में उलझ कर मर जाए तो जालों को कसूरवार क्यों कहें
©Rudradeep
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