White पहले मैं हर वक़्त रौशनी और उजालों का तलबग | हिंदी कविता

"White पहले मैं हर वक़्त रौशनी और उजालों का तलबगार रहता था लेकिन अब मैं अंधेरों से इतना प्यार करने लगा हू कि घर की खिड़कियों पर भी काले कांच लगवाने की बात. सोच रहा हू ©Parasram Arora"

 White पहले मैं हर वक़्त 
  रौशनी और उजालों 
का तलबगार रहता था 

लेकिन अब मैं 
अंधेरों से  इतना
 प्यार करने लगा हू 
कि घर की खिड़कियों 
पर भी काले कांच 
लगवाने  की बात.
सोच रहा हू

©Parasram Arora

White पहले मैं हर वक़्त रौशनी और उजालों का तलबगार रहता था लेकिन अब मैं अंधेरों से इतना प्यार करने लगा हू कि घर की खिड़कियों पर भी काले कांच लगवाने की बात. सोच रहा हू ©Parasram Arora

#good_नाईटअंधेरों से प्यार

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