कदम लड़खड़ाने लगे मेरे, किसी ने हाथ दे दिया.... बच | हिंदी Shayari

"कदम लड़खड़ाने लगे मेरे, किसी ने हाथ दे दिया.... बचपन का दोस्त था मेरा,आज फिर से साथ दे दिया.... ©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)"

 कदम लड़खड़ाने लगे मेरे, किसी ने हाथ दे दिया....
बचपन का दोस्त था मेरा,आज फिर से साथ दे दिया....

©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

कदम लड़खड़ाने लगे मेरे, किसी ने हाथ दे दिया.... बचपन का दोस्त था मेरा,आज फिर से साथ दे दिया.... ©RUPESH KUMAR PANDEY,(poet/social activist)

#फ्रेंडशिपडे 

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