उसकी यादों में रात भर वो यूँ ही तड़पता रहा
सुलगा के सिगरेट अपनी हथेली पे रगड़ता रहा
वो किसी और की बाहों में झूले झूल रही थी
यहाँ सारी रात उसका बदन आग सा तपता रहा
वो महबूब को अपनी जान समझता था
सो उसके मरने के बाद भी, दिल उसका धड़कता रहा
हकीम को बुलवाया गया
मर्ज इश्क़ का बतलाया गया
जब हक़ीम ने भी हाथ खड़े कर दिये
आशिक के जनाज़े को सजाया गया
लेकिन लोगों को उसकी मजनूइयत पर भरोसा था
सो एक दफा उस लड़की को बुलवाया गया
लड़की आयी, महबूब ना आ सकी
वो कफ़न लायी, फूल ना ला सकी
उसने उसके सारे तोहफे वापस लाये
पर वो उसका दिल वापस ना ला सकी
अब दिल की गलतफहमी भी दूर हो गयी
उसके धड़कने की तमन्ना भी चूर-चूर हो गयी
उस दीवाने ने इश्क़ और जमाने को अलविदा कहा
यहाँ आशिक़ की मौत में लड़की मशहूर हो गयी
इश्क़ की ये नादानी खत्म हो गयी
मोहब्बत की ये कहानी खत्म हो गयी
खत्म हो गया सारी ख्वाहिशों का कारवाँ
इक लड़की की चाहत में ये पूरी जवानी खत्म हो गयी
-sachin yadav
©sachin yadav
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