मैं हूं अंकुर काव्य का,शब्दों का मैं सवार हूं। मैं | हिंदी शायरी Video

"मैं हूं अंकुर काव्य का,शब्दों का मैं सवार हूं। मैं हूं करुणा गुप्त की,निराला का श्रृंगार हूं।। जगनिकों का रौद्र हूं,कवियों में मैं कबीर हूं। मैं श्रृजन का बीज हूं,मीरा विरह की पीर हूं।। उत्साह लिक्खूं मैं अगर,कविभूषणों का अंश हूं। वीरता लिखने पे आऊं, दिनकरों का "वंश" हूं।। कविवंश…✍️ ©Vansh Thakur "

मैं हूं अंकुर काव्य का,शब्दों का मैं सवार हूं। मैं हूं करुणा गुप्त की,निराला का श्रृंगार हूं।। जगनिकों का रौद्र हूं,कवियों में मैं कबीर हूं। मैं श्रृजन का बीज हूं,मीरा विरह की पीर हूं।। उत्साह लिक्खूं मैं अगर,कविभूषणों का अंश हूं। वीरता लिखने पे आऊं, दिनकरों का "वंश" हूं।। कविवंश…✍️ ©Vansh Thakur

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