White मैं फिर सृजन का बीज बोना चाहता हूँ
इस धरा पर एक नया पौधा चाहता हूँ
अंकूर जो फूटे बीज से जो इस मिट्टी मैं
मैं फिर सोना उगलना चाहता हूँ
हर दिन के साथ मेरा भी विस्तार हो
अपने अस्तित्व को बढ़ाना चाहता हूँ
हर एक कोंपल जो कहीं भी दिखे
सपनों का एक नया जहाँ चाहता हूँ
कहीं मौसम से होकर है गुजरना सत्य है
इस सत्य को स्वीकारना चाहता हूँ
मैं फिर सृजन का बीज बोना चाहता हूँ
इस धरा पर एक नया पौधा चाहता हूँ
( सचिन चमोला )
©sachin chamola
#simplicity