"जिसके रंग ने तुझे रंग दिया,
वाकई उसने कुछ संग न दिया।
उसकी उंगली का खेल मात्र था,
कच्ची मिट्टी का तू पात्र था।
सिमट जाएगा एक आकृति मे यू ,
भूल जाएगा खुद को फिर तू। "
जिसके रंग ने तुझे रंग दिया,
वाकई उसने कुछ संग न दिया।
उसकी उंगली का खेल मात्र था,
कच्ची मिट्टी का तू पात्र था।
सिमट जाएगा एक आकृति मे यू ,
भूल जाएगा खुद को फिर तू।