"हर कश्ती का यहाँ मुक़म्मल किनारा नहीं होता
जिसे करते है प्यार हम वही हमारा नहीं होता
रोता होगा सागर भी किसी की याद मे
वरना समुन्दर का पानी इतना खारा नहीं होता"
हर कश्ती का यहाँ मुक़म्मल किनारा नहीं होता
जिसे करते है प्यार हम वही हमारा नहीं होता
रोता होगा सागर भी किसी की याद मे
वरना समुन्दर का पानी इतना खारा नहीं होता