वक्त ने बहुत कुछ सिखाया,
पर वक्त पर नहीं सिखाया,
जब तक समझ पाए हालात को,
खुद को ही हमसे सबसे दूर पाया।
कुछ कदमों में ठोकरें खाईं,
कुछ राहों में खुद को गिराया,
फिर एहसास हुआ देर से,
कि वक्त ने कैसे हमें आज़माया।
जो लोग थे कभी अपने,
अब अजनबी सा रंग लाया,
दिल से सब कुछ दिया उन्हें,
पर वक्त ने फिर खेल रचाया।
अब समझते हैं हर जख्म को,
हर घाव का सबक पाया,
वक्त ने सिखाया बहुत कुछ,
पर वक्त पर कभी नहीं सिखाया।
©silent_03
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