#RIPPriyankaReddy सुबह ना होती शाम ना होती चर्चा य | मराठी कविता

"#RIPPriyankaReddy सुबह ना होती शाम ना होती चर्चा ये सरेआम ना होती भारत में यदि विदेशी ना आते तो महिलाएं गुलाम ना होती। बाल विवाह ना होते पर्दा प्रथा ना होती दहेज प्रताड़ना ना होती कन्या भ्रूण हत्या ना होती महिलाओं की नाक में नथनी रूपी लगाम ना होती ........ भारत मे यदि घर के अन्दर कैद ना होती आर्थिक दुर्दशा ना होती लोक-लाज के नाम पर सारी बन्धनों की विवशता ना होती मातृ प्रधान देश में सम्पत्ति कभी पुरुषों के नाम ना होती ..... भारत में यदि घरेलू हिंसा ना होती महिला उत्पीड़न न होता जेण्डर इनइक्वेलिटी ना होती तो नारी का दमन ना होता दहेज के कारण बहू की हत्या रोज नगर और गांव ना होती .....भारत में यदि और वैसे तो है नारी पत्थर रूप में पूजी जाती पर वास्तव में तो इनकी है अस्मत लूटी जाती मान-सम्मान, अधिकार नहीं बराबर इनको घर की लक्ष्मी कह रखते बहका कर इनको बलात्कार की घटनाएं देश में खुलेआम ना होती भारत में यदि विदेशी ना आते तो महिलाएं गुलाम ना होती। ©Vijay Vidrohi"

 #RIPPriyankaReddy सुबह ना होती शाम ना होती
चर्चा ये सरेआम ना होती
भारत में यदि विदेशी ना आते
तो महिलाएं गुलाम ना होती।

बाल विवाह ना होते पर्दा प्रथा ना होती
दहेज प्रताड़ना ना होती कन्या भ्रूण हत्या ना होती
महिलाओं की नाक में नथनी रूपी लगाम ना होती
........ भारत मे यदि
घर के अन्दर कैद ना होती आर्थिक दुर्दशा ना होती
लोक-लाज के नाम पर सारी बन्धनों की विवशता ना होती
मातृ प्रधान देश में सम्पत्ति कभी पुरुषों के नाम ना होती
..... भारत में यदि
घरेलू हिंसा ना होती महिला उत्पीड़न न होता
जेण्डर इनइक्वेलिटी ना होती तो नारी का दमन ना होता
दहेज के कारण बहू की हत्या रोज नगर और गांव ना होती
.....भारत में यदि
और वैसे तो है नारी पत्थर रूप में पूजी जाती
पर वास्तव में तो इनकी है अस्मत लूटी जाती
मान-सम्मान, अधिकार नहीं बराबर इनको
घर की लक्ष्मी कह रखते बहका कर इनको
बलात्कार की घटनाएं देश में खुलेआम ना होती
भारत में यदि विदेशी ना आते 
तो महिलाएं गुलाम ना होती।

©Vijay Vidrohi

#RIPPriyankaReddy सुबह ना होती शाम ना होती चर्चा ये सरेआम ना होती भारत में यदि विदेशी ना आते तो महिलाएं गुलाम ना होती। बाल विवाह ना होते पर्दा प्रथा ना होती दहेज प्रताड़ना ना होती कन्या भ्रूण हत्या ना होती महिलाओं की नाक में नथनी रूपी लगाम ना होती ........ भारत मे यदि घर के अन्दर कैद ना होती आर्थिक दुर्दशा ना होती लोक-लाज के नाम पर सारी बन्धनों की विवशता ना होती मातृ प्रधान देश में सम्पत्ति कभी पुरुषों के नाम ना होती ..... भारत में यदि घरेलू हिंसा ना होती महिला उत्पीड़न न होता जेण्डर इनइक्वेलिटी ना होती तो नारी का दमन ना होता दहेज के कारण बहू की हत्या रोज नगर और गांव ना होती .....भारत में यदि और वैसे तो है नारी पत्थर रूप में पूजी जाती पर वास्तव में तो इनकी है अस्मत लूटी जाती मान-सम्मान, अधिकार नहीं बराबर इनको घर की लक्ष्मी कह रखते बहका कर इनको बलात्कार की घटनाएं देश में खुलेआम ना होती भारत में यदि विदेशी ना आते तो महिलाएं गुलाम ना होती। ©Vijay Vidrohi

#गुलामनाहोती

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