White हमारे चेहरे पे ग़म भी नहीं, ख़ुशी भी नहीं
अंधेरा पूरा नहीं, पूरी रौशनी भी नहीं
है दुश्मनों से कोई ख़ास दुश्मनी भी नहीं
जो दोस्त अपने हैं उनसे कभी बनी भी नहीं
मैं कैसे तोड़ दूँ दुनिया से सारे रिश्तों को
अभी तो पूरी तरह उससे लौ लगी भी नहीं
अजीब रुख़ से वो बातों को मोड़ देता है
कि जैसे बात ग़लत भी नहीं, सही भी नहीं
तुम्हारे पास हक़ीक़त में इक समुन्दर है
हमारे ख़्वाब में छोटी-सी इक नदी भी नहीं
कोई बताये ख़ुशी किसके साथ रहती है
हमें तो एक ज़माने से वो दिखी भी नहीं
लो फिर से आ गये बस्ती को फूँकने के लिये
अभी तो पहले लगाई हुई बुझी भी नहीं
अजीब बात है दीपावली के अवसर पर
करोड़ों बच्चों के हाथों में फुलझड़ी भी नहीं
©दीपबोधि
#GoodNight शायरी हिंदी में खूबसूरत दो लाइन शायरी