मेरे कपड़ो की लंबाई से तुम-सब, मेरी उम्र क़ी सीढ़ियों | हिंदी विचार
"मेरे कपड़ो की लंबाई से तुम-सब,
मेरी उम्र क़ी सीढ़ियों क़ो ना नापा करो।
तुम क्या जानोगे ख़ैर!
मैंने मतलब नही समझा था जिस पड़ाव में,
उस उम्र में मैंने बड़े सलीक़े से हिज़ाब डाला था।।
सदफ़ आफ़ताब"
मेरे कपड़ो की लंबाई से तुम-सब,
मेरी उम्र क़ी सीढ़ियों क़ो ना नापा करो।
तुम क्या जानोगे ख़ैर!
मैंने मतलब नही समझा था जिस पड़ाव में,
उस उम्र में मैंने बड़े सलीक़े से हिज़ाब डाला था।।
सदफ़ आफ़ताब