और भी दुख हैं... और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत | हिंदी Poetry Vide

" और भी दुख हैं... और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा ... इब्तिदा-ए-इश्क़ है... इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या ... तुझे पाने की कोशिश में तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं ... चलती फिरती हुई आँखों से... चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है ©Manjeet kumar "

और भी दुख हैं... और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा ... इब्तिदा-ए-इश्क़ है... इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या ... तुझे पाने की कोशिश में तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैं ... चलती फिरती हुई आँखों से... चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है ©Manjeet kumar

#JallianwalaBagh

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