White बचपन
बचपन के वो पल,ना जाने कहा खो गये..
जिंदगी की कशमकश मे,न जाने कब हम इतने बडे हो गये...
छोटीसी उँगली पकडकर, चलना सीखाया था माँ ने...
पापा के कांधो पर चढकर,देखते थे उडने के सपने...
उन दोनो के प्यार में, गुजरते थे दिन रात...
पर जवानी के इस मोडपर, क्यू छूट गया उनका हाथ...
क्यू उनको छोड हम, पढने आ गये,
पता ही नही चला, कब हम इतने बडे हो गये....
माँ के हाथो का गरमा- गरम खाना..
पापा को केहते थे, हमारे लिये चॉकलेट ले के आना...
भाई के साथ था रोज ही झगडना..
आज ये सब कहा खो गया,
न जाने जवानी का क्यू ये मोड आ गया..
नींद नाही आती तो, माँ को चीपक कर सो जाते...
पापा शाम मे आकार,सरपे प्यार भरा हाथ घुमते..
आज ये यादे, न जाने कहा खो गई..
पता ही नहीं चला कब,जवानी की ये घडी आ गयी..
हसते थे , रोते थे,मन चाहे जब सोते थे...
ना था आज का टेन्शन,ना थी कल की परेशानी...
बचपन की उन खुशियो को,
छीन ले गई जवानी...
काश बचपन के ओ पल, वापस आ जाये...
काश के हम फिरसे, बच्चे बन जाये..
©Priyanka Jaiswal
#बचपन