Vote चंद सिक्कों की खनक सुन अपने जमींर को बेच मत देना,
रोटी के जलने से पहले उसे पलटकर जरूर सेंक देना।।
ये जो उन्होंने प्यादे बिछाये हैं इस सतरंज की विसात में,
तुम उनकी चाल में आकर उनकी लगाई आग में खुद को झोंक मत देना।।
तुम भी एक योद्धा हो बता दो अब उन्हे,
रण (बूथ) में पहुंचकर उनके विजयी रथ को रोक अब देना।।
उखाड़ कर फेंक दो उसके रथ के पहिये को,
उसे उठा उसी की लगाई आग में झोंक अब देना।।
लेखक
हरिश्चन्द्र कहांर
©लेखक हरिश्चंद्र कहार
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