"एक वक्त था जब मुझसे तुम्हारी गहरी दोस्ती हुआ करती थी
मेरे पन्नों के पलट कर ही तुम्हारे दिन की शुरूआत हुआ करती थी
मेरे शब्दों में खोई खोई तुम्हारी शाम हुआ करती थी
मेरे कहनी के पात्रों में ही उलझे हुए तुम्हारे ख़्वाब हुआ करते थे
और आज एक दौर ऐसा है की तुम्हें देखे एक ज़माना गुजर गया
तेरे हथेली के स्पर्श को महसूस किए एक अरसा बीत गया
तेरे कदमों की आहट सुन कर शब्दों की गूंज हँसी खुशी
में परिवर्तित हुए एक ज़माना गुजर गया
मेरे तन बदन पर से धूल की परतें तक हटाना तू भूल गया
©Pooja Priya
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