Kashmir दर्द कि दास्तान मेरी ऐसी के कोई दर्द पूछत | हिंदी Poetry

"Kashmir दर्द कि दास्तान मेरी ऐसी के कोई दर्द पूछता नहीं मेरा दर्द इतना दर्दीला के मै कुछ बोल पाता नहीं नासूर बने दर्द देनेवाला घाव मेरा अभी भरा नहीं तुमने देखा बस दृश्य है थोडा लहू को बहते देखा नही मै अभी कही पर हूँ जिंदा जमाने से मै मरा नहीं कोई पूछे मुझसे आके क्या घटा क्या घटा नहीं अभी दबे है सैकड़ों पंडित मै अकेला मरा नहीं पूछ आकर मुझसे मेरे दृश्य मौत जो देखा नही कुछ हँसेगे दुःख में मेरे खूनी सरकारें जिन्हें बचारही रो रहे हैं मेरे अपने लाचार पाया मुझे बचा नहीं आँखे देख देख कर सोई जब तक देह पूरा कटा नहीं नोच रहे थे गिद्ध जीवित ही उस नारी का पता नहीं अफजल थे सारे के सारे काफिर कोई बचा नहीं जाओ कुरेदो उस मिट्टी को दबा पडा जो गडा नहीं जल कर हो गई खाक जिंदगी इंसा कोई बचा नहीं #साधारणमनुष्य #Sadharanmanushya #TheKashmirFiles ©#maxicandragon"

 Kashmir दर्द कि दास्तान मेरी ऐसी 
के कोई दर्द पूछता नहीं 
मेरा दर्द इतना दर्दीला
के मै कुछ बोल पाता नहीं 
नासूर बने दर्द देनेवाला 
घाव मेरा अभी भरा नहीं 
तुमने देखा बस दृश्य है थोडा
लहू को बहते देखा नही 
मै अभी कही पर हूँ जिंदा
जमाने से मै मरा नहीं 
कोई पूछे मुझसे आके
क्या घटा क्या घटा नहीं 
अभी दबे है सैकड़ों पंडित
मै अकेला मरा नहीं 
पूछ आकर मुझसे मेरे
दृश्य मौत जो देखा नही 
कुछ हँसेगे दुःख में मेरे
खूनी सरकारें जिन्हें बचारही
रो रहे हैं मेरे अपने
लाचार पाया मुझे बचा नहीं 
आँखे देख देख कर सोई
जब तक देह पूरा कटा नहीं 
नोच रहे थे गिद्ध जीवित ही
उस नारी का पता नहीं 
अफजल थे सारे के सारे
काफिर कोई बचा नहीं 
जाओ कुरेदो उस मिट्टी को
दबा पडा जो गडा नहीं 
जल कर हो गई  खाक जिंदगी 
इंसा कोई बचा नहीं 
#साधारणमनुष्य #Sadharanmanushya #TheKashmirFiles

©#maxicandragon

Kashmir दर्द कि दास्तान मेरी ऐसी के कोई दर्द पूछता नहीं मेरा दर्द इतना दर्दीला के मै कुछ बोल पाता नहीं नासूर बने दर्द देनेवाला घाव मेरा अभी भरा नहीं तुमने देखा बस दृश्य है थोडा लहू को बहते देखा नही मै अभी कही पर हूँ जिंदा जमाने से मै मरा नहीं कोई पूछे मुझसे आके क्या घटा क्या घटा नहीं अभी दबे है सैकड़ों पंडित मै अकेला मरा नहीं पूछ आकर मुझसे मेरे दृश्य मौत जो देखा नही कुछ हँसेगे दुःख में मेरे खूनी सरकारें जिन्हें बचारही रो रहे हैं मेरे अपने लाचार पाया मुझे बचा नहीं आँखे देख देख कर सोई जब तक देह पूरा कटा नहीं नोच रहे थे गिद्ध जीवित ही उस नारी का पता नहीं अफजल थे सारे के सारे काफिर कोई बचा नहीं जाओ कुरेदो उस मिट्टी को दबा पडा जो गडा नहीं जल कर हो गई खाक जिंदगी इंसा कोई बचा नहीं #साधारणमनुष्य #Sadharanmanushya #TheKashmirFiles ©#maxicandragon

दर्द कि दास्तान मेरी ऐसी
के कोई दर्द पूछता नहीं
मेरा दर्द इतना दर्दीला
के मै कुछ बोल पाता नहीं
नासूर बने दर्द देनेवाला
घाव मेरा अभी भरा नहीं
तुमने देखा बस दृश्य है थोडा
लहू को बहते देखा नही

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