कैसा ये वक्त है,कैसा दौर ए हाल है।
सांसो की साँसों से जंग है,जीवन बदहाल है।
नयनों में भरे हैं अश्रु, होंठों पे दुहाई है,
जरा हर तरफ देखो कैसी मची ये तबाही है।
डरावना सा है ये मंजर कि हर शख्स परेशान नजर आता है।
इतना बेबस है हमारा प्रशासन कि बैसाखी पे खड़ा नजर आता है।
देश की इस बदहाली का कौन जिम्मेदार है
जा रही जानों का क्या हमारे हुक्मरानों को
कोई मलाल है,
या फिर केवल इनके वोटों से ही बस सरोकार है
कैसा ये वक्त है,कैसा दौर ए हाल है।
©himanshu kumar
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