पानी के विविध रूप है,
कभी बर्फ तो कभी तरल
तपित धूप में बन उड़ता है
बदली के कुछ वाष्प सघन
बन बूंदें जब आंच छोड़ें
बदली के घर से वाष्प सघन
बूंदों के भाग्य का निर्णय
होता है उनकी यात्रा पर।
कुछ खतों में, कुछ नदियों में
तो कुछ कोमल पुष्पों पर गिरतीं।
इनमें से कुछ होती ऐसी,
जो सीप के मुख पर जा गिरती है,
जो भाग्य पर जाएं मचल।
हो जाता इसके जीवन का,
अंतिम लक्ष्य का सार सफल।
- राजेश कुमार
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