मैने देखे ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर _____________ आह र | हिंदी कविता

"मैने देखे ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर _____________ आह रे! ये पर्वत शिखर नभ चुंभी ऊंचाई पर दिल ले गए मेरा एक ही नज़र हीरा–पन्ना जड़े तन पर मैं डूब गया सागर लहर हाथ पकड़ मेरा , ऐ नभ कर डूबने से रोक ले मुझे हे ये कितना सुंदर कानन वस्त्र इसके देह पर रोता नही ये है नभ पर कंधो पर सरिता को समाये झरना–झरता हर पल सुगंधित माटी इसके तन पर समा ले मुझे , तुझमें महिधर कोयला हे तो क्या हुआ ! हीरा भी तो है तुझ पर बिजली , वर्षा तुझे हिला न पाई जरा सा भी डर खुला आसमान तेरा घर पशु–पक्षी सब रहे तुझ पर जब भी तुझे देखूं ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर जी करे एक और बार देखूं तुझे मुड़कर ____________ अभिषेक सरकार ©Abhi Roy "

मैने देखे ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर _____________ आह रे! ये पर्वत शिखर नभ चुंभी ऊंचाई पर दिल ले गए मेरा एक ही नज़र हीरा–पन्ना जड़े तन पर मैं डूब गया सागर लहर हाथ पकड़ मेरा , ऐ नभ कर डूबने से रोक ले मुझे हे ये कितना सुंदर कानन वस्त्र इसके देह पर रोता नही ये है नभ पर कंधो पर सरिता को समाये झरना–झरता हर पल सुगंधित माटी इसके तन पर समा ले मुझे , तुझमें महिधर कोयला हे तो क्या हुआ ! हीरा भी तो है तुझ पर बिजली , वर्षा तुझे हिला न पाई जरा सा भी डर खुला आसमान तेरा घर पशु–पक्षी सब रहे तुझ पर जब भी तुझे देखूं ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर जी करे एक और बार देखूं तुझे मुड़कर ____________ अभिषेक सरकार ©Abhi Roy

#mountain

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