औरों को रुलाना हो तो जिस्मानी दर्द दीजिए
गर हम को रुलाना हो तो रूहानी दर्द दीजिए
फकत मोहब्बत पाए हम तो तुमको भूल जाएंगे
खुद को याद दिलाना हो तो निशानी दर्द दीजिए
ना मोहब्बत ना चाहत ना कोई और नाम दीजिए
मेरा फसाना लिखना हो तो मजमूने कहानी दर्द दीजिए
पीरी में सहने की शायद ना ताब बाकी रह सके
अभी है जोश है कुवत है जवानी दर्द दीजिए
यह आपके कामों में भला देरी कैसे हो गई
है खुशनुमा पल है साथी है शाम सुहानी दर्द दीजिए
समझदार लोग गम का बोझ ढो नहीं सकते
पर आपकी 'तबस्सुम' तो है मौला दीवानी दर्द दीजिए
-सुरैया तबस्सुम
©Suraiyya Tabassum
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