वो रात भी बरसात की थी जब हम एक - दूजे से खफा हो ग | हिंदी कविता

"वो रात भी बरसात की थी जब हम एक - दूजे से खफा हो गए थे अश्क आंखों में लिए हम एक - दूजे से अलविदा कह गए थे वो लाल गुलाब आज भी उसी मोड़ पर पड़ा है जिस मोड़ से हम दोनों सदा के लिए जुदा हो गए थे खुशबू उस प्यार की आज भी सांसों में महसूस होती है जाने क्या बात हुई जाने क्यों हम एक - दूजे से बेवफ़ा हो गए थे ©अनुभूति अनिता पाठक"

 वो रात भी बरसात की थी
जब हम  एक - दूजे से खफा हो गए थे
अश्क आंखों में लिए हम
एक - दूजे से अलविदा कह गए थे
वो लाल गुलाब 
आज भी उसी मोड़ पर पड़ा है
जिस मोड़ से हम दोनों
सदा के लिए जुदा हो गए थे
खुशबू उस प्यार की 
आज भी सांसों में महसूस होती है
जाने क्या बात हुई 
जाने क्यों हम 
एक - दूजे से बेवफ़ा हो गए थे

©अनुभूति अनिता पाठक

वो रात भी बरसात की थी जब हम एक - दूजे से खफा हो गए थे अश्क आंखों में लिए हम एक - दूजे से अलविदा कह गए थे वो लाल गुलाब आज भी उसी मोड़ पर पड़ा है जिस मोड़ से हम दोनों सदा के लिए जुदा हो गए थे खुशबू उस प्यार की आज भी सांसों में महसूस होती है जाने क्या बात हुई जाने क्यों हम एक - दूजे से बेवफ़ा हो गए थे ©अनुभूति अनिता पाठक

#OneSeason

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