दरवाजों खिड़कियों से झांकती ज़िन्दगी
अनजानी मौत से भीख मांगती ज़िन्दगी
लोगों में ऐसे फासले कहाँ देखे थे हमने
ज़िन्दगी से अब दामन छुड़ाती ज़िन्दगी
इस क़दर खौफ न देखा शहरों में कभी
मोड़ मोड़ पर देख रहे घबराती ज़िन्दगी
हंसा करते थे कभी महफिलों में बैठकर
कहाँ गुम हुई वो खिलखिलाती ज़िन्दगी
पर यकीन रखना खुद पे ऐसे हालातों में
फिर से देखेंगे जल्दी मुस्कुराती ज़िन्दगी🌹🌹
एक ख़याल