सोचा ज़िन्दगी में कभी मुझे भी होगी मोहब्बत हां हुई | हिंदी शायरी

"सोचा ज़िन्दगी में कभी मुझे भी होगी मोहब्बत हां हुई, पर वो थी एक तरफ़ा। सोचा उसको भी होगी थोड़ी चाहत पर कमबख्त वो भी निकली सिर्फ एक तरफ़ा। सोचा था दूर जाने से, उसे भी होगा दर्द पर ज़ालिम, यह भी हुआ सिर्फ एक तरफ़ा"

 सोचा ज़िन्दगी में कभी मुझे भी होगी मोहब्बत
हां हुई, पर वो थी एक तरफ़ा।

सोचा उसको भी होगी थोड़ी चाहत
पर कमबख्त वो भी निकली सिर्फ एक तरफ़ा।

सोचा था दूर जाने से, उसे भी होगा दर्द
पर ज़ालिम, यह भी हुआ सिर्फ एक तरफ़ा

सोचा ज़िन्दगी में कभी मुझे भी होगी मोहब्बत हां हुई, पर वो थी एक तरफ़ा। सोचा उसको भी होगी थोड़ी चाहत पर कमबख्त वो भी निकली सिर्फ एक तरफ़ा। सोचा था दूर जाने से, उसे भी होगा दर्द पर ज़ालिम, यह भी हुआ सिर्फ एक तरफ़ा

ek tarfa pyaar.

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