सुबह हुईं धूप खिली नये सपने जगे है आज, कुछ रास्त | हिंदी कविता
"सुबह हुईं धूप खिली
नये सपने जगे है आज,
कुछ रास्ते बनाने चली
फिर उम्मीद जगाने चली ,
सूरज की किरण ले
तलाश जारी रखी ,
मिल जाए मंजिल ये
खुल जाए सारे राज .
सुबह हुईं धूप खिली
नये सपने जगे है आज....... ✍"
सुबह हुईं धूप खिली
नये सपने जगे है आज,
कुछ रास्ते बनाने चली
फिर उम्मीद जगाने चली ,
सूरज की किरण ले
तलाश जारी रखी ,
मिल जाए मंजिल ये
खुल जाए सारे राज .
सुबह हुईं धूप खिली
नये सपने जगे है आज....... ✍