रूड़िया, अंधविश्वास
जिसके हो आस पास
मन होता उसका कमजोर
जीवन से बंधी होती भय की डोर
नहीं कर सकता वह तर्क वितर्क
जीवन को जीता,बनाकर नर्क
मुक्ति नहीं होती इतनी सुगम सरल
जिसे पाने को पीना होता है गरल
लेकिन जाने क्या उसे मन के दास
माया के भ्रमों में ही ,जिन्हे होता विश्वास
©Kamlesh Kandpal
#kvita